आधी-अधुरी जानकारी के साथ नया पोर्टल बनने से अख़बार और पत्रिकाओ का प्रकाशक उलझन में
भोपाल । भारत के समाचार पत्र पंजीयक द्वारा प्रति वर्ष क्रहृढ्ढ रिटर्न दाखिल करने के लिए समाचार पत्र-पत्रिकाओं से वाषिर्क विवरण मांगा जाता है,जिसे प्रकाशक अपने समाचार पत्र की जानकारियां आनलाइन भरकर भेज दिया करते थे। इस बार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय(क्रहृढ्ढ) ने रिटर्न जमा करने के लिए एक नये पोर्टल के साथ संशोधन करते हुए कुछ नये और कड़े प्रावधान जोड़े है,जिससे प्रकाशकों को काफी परेशानी आ रही है। इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट(ष्ट्र) के साथ ही प्रेस संचालक (प्रिंटर्स) को भी पैनल में शामिल किया गया है। इससे समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशकों को रिटर्न फाइल करने में समस्या आ रही है। यदि इन प्रावधानों को सरल नहीं किया गया तो कई समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशक रिटर्न जमा करने से वंचित रह जायेंगे। इसके पीछे देश में बढ़ती अखबारों की संख्या को कम करने के नजरिए से देखा जा रहा है।प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज भारतीय एवं मध्यप्रदेश अध्यक्ष रघु मालवीय ने कहाँ यदि समाचार पत्र पत्रिकाओं की संख्या कम करना ही है तो उसके लिए टाइटल आवंटन से लेकर क्रहृढ्ढ पंजीयन जारी करने के नियमों में संशोधन करना चहिये। जो समाचार पत्र पत्रिकाएं पूर्व से निरंतर प्रकाशित हो रहे है,उनको बंद करवाने के लिए इस तरह के कड़े प्रावधान सार्थक नहीं है। आरएनआई की इस नई व्यवस्था से समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशकों में रोष व्याप्त है। *प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन इसका कड़ा विरोध करती है और भारत सरकार के सूचना प्रकाशन मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग करते हुए पूर्व की तरह आरएनआई रिटर्न लेने के लिए अपील करती है।