फारेस्ट की अनुमति लिए बिना चेकडेम से उठाया जा रहा लौह अयस्क
बैलाडीला इलाके में एनएमडीसी पिछले 66 वर्षों से लौह अयस्क खनन के काम में लगी हुई है। वहीं बाढ़ प्रबंधन न होने से आफत बढ़ती जा रही है।
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बैलाडीला इलाके में स्थापिक एनएमडीसी पिछले 66 वर्षों से लौह अयस्क खनन के काम में लगी हुई है। इसके लिए पहाड़ी क्षेत्र में एनएमडीसी माइन्स के कई निपेक्ष हैं। जुलाई माह में ज्यादा बारिश होने के कारण एनएमडीसी खनन क्षेत्र की खदान 11 बी और 11 सी में आई बाढ़ ने चेकडेम नंबर 6 से होते हुए बंगाली कैंप से लेकर किरंदुल के कई वार्डों में भारी तबाही मचाई थी। इस तबाही से प्रभावितों को और राजस्व नुकसान की लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए की भरपाई एनएमडीसी ने की थी।
बारिश थमने के बाद चेकडेम नंबर 6 जो कि, 6500 टन मीटर की क्षमता का बना हुआ है, पूरी तरह से लौह अयस्क से भर गया है। एनएमडीसी इस लोह अयस्क को हरिशंकर मुखर्जी नामक ट्रांसपोर्टर से निकलवा रही है लेकिन 6500 घन मीटर क्षमता वाले चेकडेम पर कितना लौह अयस्क जमा है इसका पता लगाना जरूरी है। यह लौह अयस्क ट्रांसपोर्ट वन विभाग की अनुमति से होना चाहिए लेकिन आनन-फानन में लौह अयस्क चेकडेम नम्बर 6 से उठाकर सीधे एमबी साइडिंग में डम्प कर दिया जा रहा है।
जारी करेंगे टीपी- डीएफओ दंतेवाड़ा
डीएफओ दंतेवाड़ा सागर जाधव ने कहा कि, हम टीपी जारी करेंगे लेकिन एक ही डम्प मटेरियल की दो बार टीपी जारी न हो जाए इसलिए अभी जारी नहीं कर रहे हैं।