दुर्ग। अक्सर ठेकेदारी करने वाले लोग किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े होते हैं। राजनीतिक दलों के पदाधिकारी- कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि नगर निगम से निकलने वाले टेंडर उन्हें मिले, ताकि कुछ पैसा कमाया जा सके। छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा की सत्ता आ गई है। भाजपा से जुड़े कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी चाहते हैं कि वे भी निगम के ठेकेदार बने ।
कुछ दिन पहले दुर्ग प्रवास पर आए मुख्यमंत्री ने 23 करोड़ का भूमिपूजन किया था उनमें से इन 59 कार्यों का भूमि पूजन भी शामिल था, जिसकी कुल लागत 8 करोड़ 33 लाख रु है। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। निगम ने 20-20 लाख के टुकड़े में ऑफलाइन टेंडर करने की प्रक्रिया अपनाई है। इसके पीछे अपनों को लाभ देने की मंशा कहीं छुपी नहीं है। नगर निगम दुर्ग में काफी दिनों बाद निर्माण कार्यों का ठेका हो रहा है। टेंडर लेने के इच्छुक 915 आवेदन आए हैं, जबकि नगर निगम में अधिकृत ठेकेदारों की संख्या महज 112 होना बताया जा रहा है।
पहले सरकारी निविदा से 5% अधिक कीमत पर टेंडर जाता था, अब कंपीटीटर बढ़ गए हैं तो रेट कम होना चाहिए ओर निगम को लाखो का फायदा होना चाहिए, मगर ऐसा नही होगा? निगम के महज 8 करोड़ 33 लाख रूपों के ठेके के लिए इतना राजनीतिक दबाव बढ़ गया है कि निविदा संशोधन को एक हफ्ता के लिए टाल दिया है । पहले 9 अक्टूबर को निविदा जमा होना था जो अब 16 को होगा। जानकारों ने बताया कि सासद से लेकर विधायक पार्षद एवं अन्य नेताओं ने अपने लिए कोटा तय कर रखा है। कठिन समय में पार्टी का साथ देने वाले पदाधिकारियों को उपकृत करना भी जरूरी होता है, क्योंकि इन्ही लोगो से पार्टी का सदस्यता अभियान चल पाता है। सत्ता मिलने का लाभ उन्हें भी मिल सके यह भी जरूरी है।
वैसे भी अब के समय में कोई देश या समाजसेवा के लिए राजनीति में थोड़े ही आता है। सत्ता मलाई है, मिल बांटकर खाने से सबका भला होता है।