अब तक साथ देने वाले निर्दलीय पार्षदों का कांग्रेस से मोहभंग, भाजपा प्रवेश की तैयारी और
दो कांग्रेसी पार्षद भी भाजपा के साथ संपर्क में कर सकते है भाजपा प्रवेश
दुर्ग। राजनीति में दोस्ती दुश्मनी वक्त के साथ बदलते रहता है। राजनीति में कोई भी स्थाई दुश्मन नहीं होता। सरकार बदलने के साथ पाला बदलना सियासत की खासियत है। दुर्ग नगर निगम के कुछ निर्दलीय पार्षद जो शहरी सत्ता में कांग्रेस के साथ तालमेल बिठा कर चल रहे थे, उनका वर्तमान कांग्रेस सरकार से मोह भंग हो रहा है। उन्हें भाजपा में जाना ज्यादा श्रेयकर महसूस हो रहा है कुछ पार्षद भाजपा प्रवेश कर चुके है तो कुछ पार्टी के दरवाजे पर आरंभिक दस्तक भी दे रहे है, पर भाजपा का प्रवेश द्वार उनके लिए पूरी तरह खुल नहीं रहा है। फिर भी उनका प्रयास जारी है, और आगामी चुनाव के पहले जमीनी नतीजे दिखने भी लगेंगे।
बेशक सत्तारूढ़ कांग्रेस इससे कमजोर होगी, महापौर का डायरेक्ट चुनाव होगा, अलबत्ता भाजपा की शहरी सत्ता आने की स्थिति में वे तभी फायदे में रहेंगे जब भाजपा में प्रवेश कर जाए।
मालूम हो, दुर्ग नगर निगम में कुछ पार्षद निर्दलीय चुनाव जीतकर आए है। वर्तमान महापौर धीरज बाकलीवाल ने इन्हें पांच सालों तक अपने खेमे में साधे रखा, मगर अब इन्हें अपने साथ बनाए रखना उनके लिए भी मुश्किल हो रहा है। क्योंकि आगामी दिनों में चुनाव होना है और इन निर्दलीय पार्षदों की अपनी निजी महत्वकांक्षा कुलांचे मारने लगी है। कुछ पार्षद ऐसे भी है जिन्हें कांग्रेस और भाजपा ने टिकट देने के लायक नहीं समझा था। वे स्वतंत्र चुनाव लड़कर पार्षद चुन लिए गए, मगर दिल से कांग्रेसी नहीं हो सके।
महापौर धीरज बाकलीवाल ने अपनी कार्य कुशलता से इन्हें अपना कार्यकाल पूरा होने तक अपने साथ बनाए रखा। पर अब शिवनाथ से बहुत पानी बह चुका है। उक्त निर्दलीय पार्षद शहरी सत्ता में शामिल होकर अपना व अपने वार्ड का मनोवांछित विकास करना चाहते हो, तो इसमें कोई बुराई भी नहीं।
केंद्र से लेकर राज्य में भाजपा का परचम लहरा रहा है। दुर्ग जैसे महत्वपूर्ण नगर निगम में अपनी सत्ता कायम करने भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। बैठकों और रणनीतियों का दौर शुरू हो चुका है, उसके बनिस्बत कांग्रेस की तैयारी हारे हुए योद्धा की तरह दिख रही है। इन हालातों में निर्दलीय पार्षदों के अलावा कांग्रेस के कुछ अन्य पार्षद भी भाजपाई खेमे में चल दे तो आश्चर्य नहीं। भाजपा में किसी को सीधा सीधा प्रवेश नहीं दिया जाता, कुछ इंतजार कराया जाता है, उक्त निर्दलीय पार्षद इंतजार की इन्हीं घड़ियों को काट रहे हैं।