संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ पर विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। खड़गे ने इसके बाद धनखड़ पर पक्षपात के आरोप लगाए। जानें क्या कुछ कहा।
संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे राजनीति से प्रेरित होकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को राजनीति से परे रहकर काम करना चाहिए। खड़गे ने कहा कि पहले के सभापति राधाकृष्णन ने निष्पक्षता की मिसाल दी थी, लेकिन वर्तमान सभापति ने इस परंपरा को तोड़ा है।
सभापति सरकार की तारीफ के पुल बांधते हैं
खड़गे ने आरोप लगाया कि सभापति धनखड़ सदन में सरकार की तारीफ के पुल बांधते हैं और खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं। उन्होंने कहा कि उनका यह आचरण पद की गरिमा के खिलाफ है। खड़गे ने यह भी कहा कि सभापति विपक्षी नेताओं को अपमानित करते हैं और सदन में हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्षी नेताओं की 40-40 साल की अनुभव की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे वरिष्ठ नेताओं को भी सभापति उपदेश देते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव ध्यान भटकाने की कोशिश: भाजपा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार किया। नड्डा ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है। उन्होंने जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस के रिश्ते पर सवाल उठाए। रिजिजू ने कहा कि 72 साल बाद एक किसान का बेटा उपराष्ट्रपति बना है, और ऐसा सभापति मिलना दुर्लभ है। उन्होंने कांग्रेस पर सदन की गरिमा गिराने का आरोप लगाया और माफी मांगने की मांग की।राहुल गांधी ने अडाणी मुद्दे पर सरकार को घेरा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सदन के भीतर और बाहर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने अडाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ने वाला नहीं है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर सदन की कार्यवाही से अपमानजनक टिप्पणियां हटाने की मांग की।दिग्विजय सिंह का सभापति पर विवादित बयान
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना पक्षपाती सभापति नहीं देखा। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ सत्ता पक्ष के सांसदों को नियम के विरुद्ध बोलने की छूट देते हैं, जबकि विपक्षी सांसदों को चुप करा दिया जाता है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है और यही कारण है कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा।