लॉकडाउन से पहले रायपुर-दुर्ग का 10 और बिलासपुर का किराया 25 रुपये, अभी सौ-सौ के टिकट
- लोकल स्टेशनों के लिए अभी वसूला जा रहा चौगुना किराया
राजधानी के स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेनें तो चल रही हैं, लेकिन रेलवे के नियमों ने लोकल यात्रियों को परेशानी में डाल दिया है। लॉकडाउन से पहले रायपुर से दुर्ग जाने के लिए यात्रियों को जहां मात्र 10 और बिलासपुर के लिए 25 रुपए का टिकट लेना पड़ता था, वहीं अभी 100 रुपए से अधिक देकर रिजर्व टिकट लेना पड़ रहा है। यह जनरल टिकट का किराया है। स्लीपर क्लास के लिए तो 215 से 420 रुपए तक देने पड़ रहे हैं। यह स्थिति केवल दो शहरों के लिए नहीं है। रायगढ़, डोंगरगढ़, कोरबा, महासमुंद समेत सभी लोकल स्टेशनों के लिए चौगुना किराया वसूला जा रहा है। यात्रियों को राजधानी के आस-पास के इन शहरों में जाने के लिए लंबी रूट की ट्रेनों में सफर करना मजबूरी है, क्योंकि उनके पास लोकल ट्रेनों का विकल्प नहीं है। रेलवे ने जनरल कोच से लेकर एसी तक की श्रेणी के लिए किराए का नया सिस्टम लागू कर दिया है। इसका प्रमुख कारण लोकल ट्रेनों का परिचालन नहीं होना है। जानकारों का कहना है कि जब सीट की संख्या के बराबर ही टिकट बुकिंग का नियम है, तो लोकल ट्रेनें भी चलानी चाहिए, लेकिन रेलवे प्रशासन लोकल ट्रेनों के परिचालन के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा। जरूरत और मांग के अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में लोकल ट्रेनें शुरू की जा रही हैं, जबकि बिलासपुर जोन व रायपुर मंडल के अफसर सीधे कह रहे हैं कि मुख्यालय से निर्देश के बाद ही इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। सड़क मार्ग से वक्त व किराया दोनों ज्यादा : लोकल ट्रेनें नहीं चलने से आम लोग बसों के अलावा निजी टैक्सी से सफर तय कर रहे हैं। सड़क से दूरी तय करने में अधिक समय के साथ किराया भी ज्यादा देना पड़ता है। परिवहन विभाग ने लोकल शहरों के लिए अलग-अलग श्रेणी के बसों के लिए किराया तय किया है। सामान्य श्रेणी की बसों में रायपुर से दुर्ग जाने के लिए 50-55 रुपए देने पड़ते हैं। इसी तरह बिलासपुर के लिए 110-120 रुपए का किराया है।
कमाई बढ़ाने बनाया पूरा सिस्टम
जानकारों के अनुसार रेलवे अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए स्पेशल व पूजा स्पेशल के नाम से ट्रेनें चला रहा है। त्योहारी सीजन में शुरू की गई फेस्टिव स्पेशल ट्रेनों को अभी तक विस्तार दिया जा रहा है। ऐसा केवल अधिक किराए की वसूली के लिए हो रहा है। स्पेशल ट्रेनों का किराया पहले की नियमित ट्रेनों से अधिक है। इसी तरह पूजा स्पेशल ट्रेनों का किराया स्पेशल की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। लोकल ट्रेनें चलने के बाद स्पेशल व पूजा स्पेशल में लोकल यात्री सफर नहीं करेंगे और इससे रेलवे की आय कम होगी। अधिक वसूली हो सके, इसलिए ही फेयर का पूरा सिस्टम तैयार हुआ है।
रायपुर से किराया | पहले | अब |
दुर्ग | 10 | 75 से 90 |
बिलासपुर | 25 | 85 से 100 |
रायगढ़ | 50 | 125 से 140 |
महासमुंद | 10 | 50 से 100 |
डोंगरगढ़ | 25 | 80 से 120 |
कोरबा | 35 | 95 से 110 |
रायपुर से सामान्य श्रेणी का बस किराया
- दुर्ग- 55 रुपए
- बिलासपुर- 110 रुपए
- महासमुंद- 45 रुपए
- कोरबा- 210
- रायगढ़- 360 रुपए
2 लोकल ट्रेनों को किया बंद
पिछले साल सितंबर में करीब एक माह के लिए दो लोकल ट्रेनें शुरू की गई थी। रायपुर-काेरबा हंसदेव एक्सप्रेस और रायपुर-दल्लीराजहरा डेमू को चलाने के बाद बंद कर दिया गया। ट्रेन शुरू करते समय कोरोना का प्रभाव राजधानी व प्रदेश में अधिक था। संक्रमण कम होने के बाद ट्रेनों को नहीं चलाया जा रहा है। दोनों ही ट्रेनें प्रदेश के छोटे-छोटे स्टेशनों तक पहुंचने के लिए बेहतर विकल्प है, लेकिन रेलवे प्रशासन इन्हें चलाने को लेकर चुप्पी साधे हुए है।