दुर्ग (DNH) :- कोई भूखा न सोये इसके लिए विगत 3 वर्षों से जरूरतमन्दों को दे रहे है भोजन और वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में 60 दिनों से कर रहे है जरूरतमन्दों की सहायता.. समाजवादी विचारधारा का जन्म ही समाज के निराश्रित एवं अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को भी वह सुख सुविधाएँ पहुंचाने के लिए हुआ है, जिनसे अभी तक वह अछूता रहा है। एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता का एकमात्र धर्म मानवता व सेवा होता है। इन्ही बातों को आत्मसात करते हुए वर्तमान में विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते देश एवं प्रदेश में जारी लॉकडाउन के दौरान जन समर्पण सेवा संस्था दुर्ग द्वारा दुर्ग-भिलाई में लॉकडाउन अवधि में 60 दिनों से जरूरतमन्दों को दोनों समय दोपहर एवं रात्रि में भोजन वितरण कर रही है, कोई भूखा न सोये इस प्रयास को लेकर यह संस्था विगत 3 वर्षों से दुर्ग रेल्वे स्टेशन एवं अन्य स्थानों में अस्थाई रुप से निवासरत मजदूर, असहाय, महिलाएं, बच्चों, विकलांग जनों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन वितरण कर रही है साथ ही साथ विकलांग जनों को ट्राइसिकल, बैसाखी, व्हीलचेयर, जरूरतमन्दों को कम्बल, बर्तन एवं अन्य सामाग्री वितरण करते आ रही है.. वर्तमान में विश्वव्यापी कोरोना वायरस महामारी के रूप में मानवजाति के सामने एक ऐसी चुनौती आई है जिसकी वजह से पूरी दुनिया स्थिर हो गई है। सभी लोग जीवन के सारे कार्य छोड़कर घर बैठ गये हैं या मेहनत मजदूरी छोड़कर अपने अपने घरों के लिए पैदल, शासकीय वाहन, एवं अन्य वाहनों से अपने घर पहुँच रहे है, ताकि कोरोना को हराया जा सके। कोरोना के कहर से जिले वासी भी प्रभावित हैं। प्रदेश में लॉकडाउन है, इस विपरीत परिस्थिति में दुर्ग जिले में जन समर्पण सेवा संस्था जोकि विगत 3 वर्षों से गरीब, असहाय एवं जरूरतमंदों को प्रतिदिन भोजन खिलाती आ रही, यह संस्था वर्तमान में विश्वव्यापी महामारी के बीच भी अपनी सेवा निरन्तर जारी रखी हुई है, विकट परिस्थिति को देखते हुए जन समर्पण सेवा संस्था, दुर्ग सभी के सहयोग से इस संकट की घड़ी में जरूरतमंदों को लॉकडाउन के प्रथम दिवस से निशुल्क भोजन वितरण कर रही हैं।
संस्था के प्रमुख योगेन्द्र शर्मा “बंटी” जोकि विज्ञान प्रौधोगिकी परिषद, रायपुर में एक छोटे से सहायक ग्रेड- 3 के पद पर कार्यरत है, वे आज कोरोना अवधि में सुबह से लेकर रात तक अपने परिवार को छोड़कर अपनी जान जोखिम में डालकर जरूरतमन्दों की सेवा में लगे हुए है, कोरोना अवधि में शासकीय दफ्तर में अवकाश होते हुए भी योगेन्द्र शर्मा ने एक पल का भी समय घर परिवार वालो के साथ नही बिताया, सुबह 6 बजे से घर से निकालकर रात्रि 12 बजे तक जरूरतमन्दों की सेवा में लगे रहे, योगेन्द्र शर्मा का का जज़्बा ये है हर पर्व त्यौहार वे कही नही जाते सिर्फ जरूरतमन्दों की सेवा में लगे रहते है, अपनी शादी के दिन भी संस्था के सदस्यों से जरूरतमन्दों के लिए भोजन लेकर भेजने वाले यह युवा का आज एक छोटा सा 1 साल का बच्चा है उसे भी समय नही दे पाते है.. संस्था के सिर्फ योगेन्द्र शर्मा ही नही बल्कि आशीष मेश्राम, प्रकाश कश्यप, संजय सेन, राजेन्द्र ताम्रकार, शिशु शुक्ला, ईशान शर्मा, अर्जित शुक्ला, शुभम सेन,शिबू मिर्जा भी आज 3 वर्षों से मानव सेवा को अपना एक मात्र उद्देश्य बनाकर कार्य कर रहे है, इनमें से ज्यादातर युवाओं की अभी शादी भी नही हुई है, ये कुछ विद्यार्थी है, तो कुछ नोकरी करते है, पर सभी युवा अपने सभी काम को छोड़कर आज 60 दिनों से सुबह शाम जरूरतमन्दों की सेवा में लगे है, सभी युवा सुबह से रात तक जरूरतमन्दों के लिए भोजन बनाते है, पैकिंग करते है और फिर भोजन वितरण करने शहर में 2 टोली में निकल जाते है.. जन समर्पण सेवा संस्था जोकि विगत 3 वर्षों से लगभग 60 से 70 लोगों को भोजन कराती आ रही है, यह संस्था आज कोरोना महामारी अवधि में प्रतिदिन लगभग 400 से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरण करा रही है, संस्था द्वारा लॉकडाउन अवधि में दुर्ग रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंड, मालवीय नगर, पुराना बस स्टैंड, गंजपारा चौक, जिला चिकित्सालय के पास, शहीद चौक, पोलसाय पारा, शंकर नगर बस्ती एवं अन्य स्थानों में निवास कर रहे जरूरतमन्दों एवं बहार से आये या रुके हुए लोगों को प्रतिदिन 2 समय का भोजन वितरण कर रही है..
संस्था द्वारा आज 8 दिनों से शहर में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में अन्य प्रदेश एवं अन्य जिलों में रोजी रोटी के लिए मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन करने गए हुए मजदूर अब वापस आ रहे है, जिनको शासन प्रशासन के सहयोग से क्वांरटाईन सेन्टर या कोरोना महामारी का चेकअप करवा कर उनके गन्तव्य स्थान तक पहुँचाया जा रहा है , संस्था द्वारा जहां लॉकडाउन के प्रारंभ से मजदूरों एवं गरीब बस्तियों में भोजन वितरण एवं शासन प्रशासन के सहयोग से अपने घर जा रहे मजदूरों को निशुल्क भोजन के साथ साथ उनको उनके गन्तव्य स्थान एवं क्वांरटाईन सेन्टर तक पहुँचाने के कार्य कर रही है, तो वहीं अब संस्था विगत 8 दिनों से 3 नंगे पैर चल रहे मजदूरों, उनके बच्चों को नए जूते-चप्पल भी भेंट करना शुरू किया है। संस्था द्वारा प्रतिदिन जरूरतमन्दों एवं पैदल चल रहे मजदूरों के भोजन वितरण के समय यह बात सामने आई कि कई मजदूरों एवं उनके बच्चो के पैरों में जूते चप्पल नहीं है अगर हैं भी तो टूटे हुए रहते हैं जिन्हें पहनकर चलना भी मुश्किल होता है। इसी मुश्किल को देखते हुए संस्था के युवाओं द्वारा जन सहयोग से विगत 8 दिनों से लगातार प्रातः 11 बजे से रात्रि 8 बजे तक चप्पलों का वितरण किया जा रहा हैं ।