*देवेन्द्र कुमार बघेल की खास रिपोर्ट___*
*रायपुर* (DNH):- छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में , अब तक चार हाथियों की आकस्मिक मौत , आश्चर्य जनक परिस्थितियों के बीच हो चुकी है ? वन अमला अपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई सही खुलासा नहीं कर पा रहा है और ना ही परिस्थितियां अनुसार , जांच अधिकारी , किसी भी मामले को सार्वजनिक कर रहे है ? उनकी समझ में ही नहीं अा रहा है कि , हाथियों की मौत कैसे और क्यों हो रही है ? विभागीय अमला के , इन्हीं बातों से शक पैदा होता है कि , विभाग , मौतों की सही जानकारी और सच्चाई को जानबूझकर छुपा रहा है ? विभाग की ऐसी गलतियों और काले कारनामों को उजागर करते हुए , भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकी राम कंवर ने , वन मंत्री रहते हुए दावे में साथ कहा था कि , बिना वन अधिकारियों की मिलीभगत से कोई व्यक्ति जंगल से एक दातुन भी नहीं चुरा सकता है ? कंवर साहब की , ये बाते और दावे काफी हद तक सही भी है ? क्योंकि , सरकार के द्वारा जंगल की सुरक्षा के लिए कड़ी नाकेबंदी और सुरक्षा के इंतजाम किए है व कर रखे है ? जहां से ना तो कोई अंदर अा सकता है और ना ही कोई बाहर जा सकता है ? सभी व्यवस्था इतनी दुरुस्त है कि , परिंदा भी , कही से भाग नहीं सकता ? तब ऐसे में कैसे स्वीकार किया जा सकता है कि , अपराधी जंगल के भीतर घुंस कर , गैरकानूनी कार्यों को , अपने बलबूते पर अंजाम देते है ? छत्तीसगढ़ में हाथियों की लगातार मौतों ने , अधिकारी की ईमानदारी पर , जहां शक पैदा कर रही है ? तो वहीं इनकी , अपराधियों के साथ मिली भगत को इंकार नहीं किया जा सकता है ? वन्य जी जंतु , हमारी अनमोल धरोहर है , आज वो है तो हम है ? यदि इस दुनिया में इंसानों के साथ साथ , जीव जंतु ना हो , इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है ? क्योंकि , दुनिया की संरचना की ही , ऐसी गई है कि , सबका का चोली दामन का साथ हो , एक दूसरे के बिना सब अधूरे हो , एक दूसरे की आवश्यकता की पूर्ति सब करे , यही हमारी आवश्यकता है , यही हमारी पूंजी है , यही हमारी परम्परा है और हमारी संस्कृति है ? चंद पैसों के लालच में हम अपना ही जानबूझकर सर्वनाश कर रहे है ? भले ही इसका परिणाम तत्काल ना पता चले , लेकिन आने वाले समय में , यह सब जनहित में नहीं है ? जल – जंगल – जमीन ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है , इसे बेचे ना वरन् बचाने का पूरा प्रयास करे , क्योंकि वन अधिकारियों को , इसी धरोहर को बचाने के लिए पदस्थ कर तनख्वाह देती है ?
*48 घंटे में शावक सहित चार हथिनी की मौत ?*
सरगुजा में हाथियों के मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. बीते 48 घंटे के भीतर सूरजपुर वनमंडल के प्रतापपुर वनपरिक्षेत्र गणेशपुर के जंगल में लगातार दो हाथियों की संदिग्ध मौत के बाद बलरामपुर वनमंडल के राजपुर वनपरिक्षेत्र गणेशपुर के जंगल में तीसरे हाथी का शव बरामद हुआ है. हाथियों की मौत का स्पष्ट कारण अब तक पता नहीं लग सका है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में 11 जून दिन बृहस्पतिवार को एक और जंगली हथिनी मृत पाई गई. इस क्षेत्र में पिछले तीन दिन में तीन हथिनियों की मौत हो चुकी है. राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र में एक जंगली हथिनी का शव बरामद किया गया है. मंगलवार और बुधवार को भी वन विभाग ने सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से दो जंगली हथिनियों के शव बरामद किए थे. इनमें से एक हथिनी गर्भवती थी. अधिकारियों ने इस हथिनी की मौत जिगर और तिल्ली की समस्या से होने की आशंका जताई थी.
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि तीन दिनों में सभी मृत हाथी मादा हैं तथा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सभी की मृत्यु एक ही कारण से हुई है. पांडेय ने बताया कि आज जिस हथिनी का शव बरामद किया गया है उसका पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. वहीं दो मृत हथिनियों के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई है और उनकी मृत्यु स्वाभाविक नहीं है. रिपोर्ट में उनके जहर से मरने की आशंका जताई जा रही है. अधिकारी ने बताया कि अभी तक मिली जानकारी के अनुसार हाथियों का दल राजपुर से प्रतापपुर की ओर गया था. इस दौरान हाथियों ने गांव में घरों को नुकसान पहुंचाया था. आशंका है कि इस दौरान हाथियों ने महुआ फूल या घरों में रखे यूरिया को खा लिया था. बलरामपुर मंडल के वन मंडल अधिकारी प्रणव मिश्रा ने बताया कि हथिनियों के मरने की जानकारी मिलने के बाद घटनास्थल पर वन विभाग का दल पहुंच गया था.
मिश्रा ने बताया कि शव पर चोट के निशान नहीं मिले हैं. हथिनियों की मृत्यु दो तीन दिन पहले हुई है. मृत्यु के कारणों के बारे में सही जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही मिल सकेगी. वहीं वन विभाग ने क्षेत्र में तालाबों और पानी वाले अन्य स्थानों से नमूना एकत्र कर लिए हैं तथा इनमें जहर की जांच की जा रही है. बिलासपुर के सामाजिक कार्यकर्ता मंसूर खान ने बताया कि पिछले वर्ष नवंबर में वन विभाग ने बलरामपुर जिले में हाथी दांत के लिए हाथियों की हत्या करने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया था. तीन हथिनियों की मौत में भी इस तरह से किसी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है.
खान ने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए. इसके बाद ही इस संबंध में सही जानकारी मिल सकेगी. छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र के सरगुजा, कोरबा, रायगढ़, जशपुर और कोरिया जिले में हाथी और मानव के मध्य संघर्ष की खबरें अक्सर आती रहती हैं. इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हाथियों के हमले में कई लोगों की जान गई है तथा कई घरों को नुकसान पहुंचा है.
*हाथी की मौत पर , गमगीन साथियों ने घेरा शव को ?*
छत्तीसगढ़ में बुधवार को सूरजपुर जिले के एक जंगल में मिले हाथी के शव के आसपास हाथियों का झुंड़ इकट्ठा होना शुरू हो गया। इन्होंने शव को चारों ओर से घेरा हुआ है, जिस कारण वन विभाग अभी तक हाथी का शव प्राप्त नहीं कर सका है। केरल में अप्रैल में मारी गई हथिनी के मामले में वन विभाग ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं पिछले महीने हुई एक गर्भवती हथिनी की मौत के दो प्रमुख आरोपियों की अभी तलाश जारी है। वन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी थी। दोनों ही मामलों में हथिनियों की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी। इन हथिनियों ने पटाखों से भरा फल खा लिया था। जिससे उनके मुंह में विस्फोट हुआ और उनके जबड़े क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके बाद उन्हें खाने-पीने में दिक्कत होने लगी। जिसके कुछ दिन बाद इनकी मौत हो गई थी। इनमें से एक घटना अप्रैल की है, जिसमें कोल्लम जिले के पथानपुरम फॉरेस्ट रेंज की हथिनी की मौत हुई थी।
दूसरा मामला पिछले महीने का है। इस मामले में नई जानकारी सामने आई है। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक केरल में गर्भवती हथिनी की मौत दुर्घटनावश हुई थी। मामले की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है। पर्यावरण मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि पटाखों से भरा फल किसी हाथी को मारने के लिए नहीं रखा गया था। यहां अक्सर बागवानी करने वाले लोग अपने खेतों को जंगली सूअरों से बचाने के लिए इस तरह के फल रख देते हैं। हथिनी ने शायद गलती से इस तरह को फल खा लिया होगा, जिस वजह से उसकी मौत हुई। हालांकि किसी भी जानवर को मारने के लिए इस तरह की अमानवीय योजना बनाना गैरकानूनी है और सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी।
*कटघरे में वनविभाग ?*
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में दो दिन के भीतर दो हाथियों की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है। तीसरे दिन प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से लगे राजपुर वन परिक्षेत्र के करवा जंगल में एक और हाथी का शव मिला। इससे वन विभाग कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। इस हाथी के भी मादा होने की बात कही जा रही है। तीन दिन में तीन मादा हाथियों की मौत ने वन अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। अंबिकापुर से लेकर राजधानी रायपुर तक हड़कंप मचा हुआ है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी अरुण पांडे की रेंज में मौजूदगी के दौरान तीसरे हाथी का शव मिलने के बाद अब मानव हाथी द्वंद की संभावना बढ़ गई है। लगातार हो रही मौतों को लेकर संदेह जताया जा रहा है कि या तो हाथी किसी संक्रमण का शिकार हुए हैं या फिर जिस बांध या तालाब का पानी हाथी सेवन कर रहे हैं उसमें गांव वालों द्वारा सुनियोजित तरीके से कीटनाशक मिला दिया गया है।
11 जून दिन गुरुवार को जिस हाथी का शव मिला है वह भी प्यारे दल का ही सदस्य बताया जा रहा है। इसी दल के दो हाथी प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में मारे गए हैं। सरगुजा वन वृत्त में सर्वाधिक आक्रामक प्यारे हाथी को माना जाता है। इस हाथी के दल में लगभग 18 सदस्य है। हाथियों का यह दल सूरजपुर और बलरामपुर जिले के सीमावर्ती प्रतापपुर और राजपुर वन परिक्षेत्र में ही विचरण करता है। यह इलाका गन्ना उत्पादक होने के साथ ही सब्जी वर्गीय फसलों की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। साल के लगभग 8 से 9 महीने हाथियों का यह दल इसी इलाके में भ्रमण कर इंसानों की जान लेने के साथ ही मकानों को क्षतिग्रस्त करने और फसलों को नुकसान पहुंचाने में लगा रहता है।
हाथियों द्वारा लगातार जान माल का नुकसान पहुंचाए जाने के कारण गांव वाले भी त्रस्त हो चुके हैं। इस दल के किसी भी हाथी में सेटेलाइट कॉलर आईडी भी नहीं है जिस कारण हाथियों के लोकेशन का भी पता नहीं चलता। गुरुवार सुबह जिस स्थान पर हाथी का शव मिला, उसकी दूरी प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से ज्यादा नहीं है। प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल में लगातार दो दिन, दो हथिनी का शव मिला था। पहली हथिनी गर्भवती थी। पोस्टमार्टम में लिवर डैमेज होने और लगभग 200 सिस्ट लीवर से निकलने के कारण बीमारी और प्रसव पीड़ा को मौत का कारण बताया गया था। प्रोटोकॉल के तहत हथिनी का विसरा प्रिजर्व किया जाना था लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसे लेकर एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अरुण पांडे ने नाराजगी भी जताई है। बुधवार को गणेशपुर जंगल में ही एक अन्य हथिनी का भी शव मिला है,उसका पोस्टमार्टम आज किया जाएगा। राजधानी रायपुर से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराए जाने की तैयारी है। गणेशपुर जंगल से करवा जंगल भी लगा हुआ है और इसी जंगल में तीसरे दिन हाथी का शव पाया गया है इस हाथी का भी पोस्टमार्टम पशु चिकित्सकों से कराए जाने की तैयारी की जा रही है। 3 दिन में तीन हाथियों की मौत को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं संभावना जताई जा रही है कि हाथी किसी गंभीर संक्रमण का शिकार हुए होंगे या फिर सुनियोजित तरीके से उन्हें जहर दिया जा रहा है।
गणेशपुर में जिस स्थान पर दो हाथियों का शव मिला उसके नजदीक बड़ा बांध है। दिनभर जंगल में रहने वाले हाथी शाम को बाहर निकलने के बाद इसी बांध में नहाते हैं और पानी भी पीते हैं, इसलिए बांध के पानी की शुद्धता को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि पानी में कीटनाशक भी मिलाया जा सकता है। इन तमाम पहलुओं की जांच की जा रही है। इन घटनाओं को मानव हाथी द्वंद के रूप में भी देखा जाने लगा है। लंबे समय से हाथियों के कारण विचरण क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है इसलिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंसानों द्वारा हाथियों की जान ली जा रही हो क्योंकि जिन तीन हाथियों का शव मिला है उनकी आयु अधिक नहीं है और शारीरिक रूप से भी वे मजबूत नजर आ रहे हैं।
*हाथियों का दल गंगरेल डुबान क्षेत्र में पहुंचा ।*
21 हाथियों का दल ग्राम कलारबाहरा से घूम फिरकर ग्राम सिलतरा के निकट नकटी देवी मंदिर के आसपास विश्राम कर रहे हंै। हाथी दिनभर गंगरेल डुबान क्षेत्र के जल भराव में चहल-कदमी करते नजर आए एवं हरे-भरे पेड़ों के पत्ते व घास खाकर आनंद ले रहे हंै। हाथियों के झुंड वाले स्थान से 300-400 मी दूरी पर ग्रामीण एवं वन विभाग का अमला सतत निगरानी कर रहा है। वन मंडलाधिकारी धमतरी अमिताभ बाजपेयी लगातार निगरानी दल का मार्गदर्शन कर रहे हैं। आज वे स्वयं संबंधित स्थल पर पहुंचकर अपने विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों से चर्चा कर आवश्यक दिशा- निर्देश देते हुए मुआयना किया। इस दौरान एसडीओ जयदीप झा, रेंजर आर के साहू, डिप्टी रेंजर पंच राम साहू, वनपाल ज्ञान कश्यप, मोहन साहू ,वन रक्षक एवं ग्रामीण जन मौजूद रहे।
*हाथियों की मौत के पीछे , कोई गहरी साजिश तो नहीं ?*
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में दो दिन के भीतर दो हाथियों की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि तीसरे दिन प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से लगे बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र के करवा जंगल में एक और हाथी का शव मिलने से वन विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है। तीन दिन में तीन हाथियों की मौत ने वन अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। अंबिकापुर से लेकर राजधानी रायपुर तक हड़कंप मचा हुआ है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी अरुण पांडेय की रेंज में मौजूदगी के दौरान तीसरे हाथी का शव मिलने के बाद अब मानव हाथी द्वंद की संभावना बढ़ गई है। लगातार हो रही मौतों को लेकर संदेह जताया जाने लगा है कि या तो हाथी किसी संक्रमण का शिकार हुए हैं या फिर जिस बांध या तालाब का पानी हाथी सेवन कर रहे हैं, उसमें गांव वालों द्वारा सुनियोजित तरीके से कीटनाशक मिला दिया गया है।
गुरुवार को जिस हाथी का शव मिला है वह भी प्यारे दल का ही सदस्य बताया जा रहा है। इसी दल के दो हाथी प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में मारे गए हैं। सरगुजा वन वृत्त में सर्वाधिक आक्रामक प्यारे हाथी को माना जाता है। इस हाथी के दल में लगभग 18 सदस्य है। हाथियों का यह दल सूरजपुर और बलरामपुर जिले के सीमावर्ती प्रतापपुर और राजपुर वन परिक्षेत्र में ही विचरण करता है। यह इलाका गन्ना उत्पादक होने के साथ ही सब्जी वर्गीय फसलों की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। वर्ष में लगभग आठ से नौ महीने हाथियों का यह दल इसी इलाके में भ्रमण कर इंसानों की जान लेने के साथ ही मकानों को क्षतिग्रस्त करने और फसलों को नुकसान पहुंचाने में लगा रहता है। रहवास के अनुकूल माहौल होने के कारण हाथी क्षेत्र से जाना नहीं चाहते हैं। हाथियों द्वारा लगातार जान माल का नुकसान पहुंचाए जाने के कारण गांव वाले भी त्रस्त हो चुके हैं। इस दल के किसी भी हाथी में सेटेलाइट कालर आईडी भी नहीं है, जिस कारण हाथियों के लोकेशन का भी पता नहीं चलता। गुरुवार सुबह जिस स्थान पर हाथी का शव मिला उसकी दूरी प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से ज्यादा नहीं है। प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल में लगातार दो दिन दो हथिनी का शव मिला था। पहली हथिनी गर्भवती थी। पोस्टमार्टम में लीवर डैमेज होने और लगभग 200 सिस्ट लीवर से निकलने के कारण बीमारी और प्रसव पीड़ा को मौत का कारण बताया गया था। प्रोटोकल के तहत हथिनी का विसरा प्रिजर्व किया जाना था, लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, इसे लेकर एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अरुण पांडेय ने नाराजगी भी जताई है। बुधवार को गणेशपुर जंगल में ही एक अन्य हथिनी का भी शव मिला है, उसका पोस्टमार्टम आज किया जाएगा। राजधानी रायपुर से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराए जाने की तैयारी है। गणेशपुर जंगल से करवा जंगल भी लगा हुआ है और इसी जंगल में तीसरे दिन हाथी का शव पाया गया है। तीन दिन में तीन हाथियों की मौत को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। संभावना जताई जा रही है कि हाथी किसी गंभीर संक्रमण का शिकार हुए होंगे या फिर सुनियोजित तरीके से उन्हें जहर दिया जा रहा है। गणेशपुर में जिस स्थान पर दो हाथियों का शव मिला उसके नजदीक बड़ा बांध है। दिनभर जंगल में रहने वाले हाथी शाम को बाहर निकलने के बाद इसी बांध में नहाते हैं और पानी भी पीते हैं, इसलिए बांध के पानी की शुद्धता को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि पानी में कीटनाशक भी मिलाया जा सकता है। इन तमाम पहलुओं की जांच की जा रही है। इन घटनाओं को मानव हाथी द्वंद के रूप में भी देखा जाने लगा है। लंबे समय से हाथियों के कारण विचरण क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है, इसलिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंसानों द्वारा हाथियों की जान ली जा रही हो, क्योंकि जिन तीन हाथियों का शव मिला है, उनकी आयु अधिक नहीं है और शारीरिक रूप से भी वे मजबूत नजर आ रहे हैं। करवा जंगल में गुरुवार को मिली लाश डिस्पोज होने लगी थी, इसलिए पांच-छह दिन पहले मौत की आशंका है।
*हाथियों ने अपनी जान पर खेल कर , जब व्यक्ति की बचाई जान तो , व्यक्ति ने अपने करोड़ों की संपति , हाथियों के नाम कर दी ।*
पिछले कुछ हफ्तों से हाथी दुखद कारणों से चर्चा में हैं लेकिन बिहार (Bihar) में एक शख्स ने कुछ ऐसा किया, जिसको सुनकर आपका दिल खुश हो जाएगा. उन्होंने दो हाथियों – मोती और रानी को अपनी आधी संपत्ति देने का फैसला किया है. अख्तर इमाम ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “जानवर इंसानों के विपरीत वफादार होते हैं. मैंने कई सालों तक हाथियों के संरक्षण के लिए काम किया है. मैं नहीं चाहता कि मेरी मौत के बाद मेरे हाथी अनाथ हो जाएं.” उनका कहना है कि हाथी उनके बच्चों की तरह हैं और वह उनके बिना नहीं रह सकते. मोती 15 साल का है और रानी 20 साल की है. वे हमेशा अख्तर इमाम के साथ रहे हैं, जो हाथियों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन चलाते हैं. इमाम कहते हैं कि उन्होंने हाथियों को अपनी जमीन देने का फैसला किया, जिसकी कीमत कुछ करोड़ रुपये है, क्योंकि उनका मानना है कि उनकी मृत्यु के बाद गैर-लाभकारी समूह द्वारा उनकी देखभाल की जाएगी.
रिपोर्टों में कहा गया है कि हाथियों ने कई मौकों पर उन्हें स्थानीय गुंडों के हमलों से बचाया था. अख्तर इमाम ने कहा, ‘एक बार, मुझ पर हत्या का प्रयास किया गया था. उस समय हाथियों ने मुझे बचा लिया था.’ उन्होंने आगे बताया, ‘जब पिस्तौल के साथ कुछ लोगों ने मेरे कमरे में घुसने की कोशिश की तो मेरे हाथी ने मुझे सचेत किया और फिर मैं जान बचाने में कामयाब रहा.’केरल के पलक्कड़ में विस्फोटकों के साथ कुछ पदार्थ खाने के बाद पिछले महीने एक गर्भवती जंगली हाथी की मौत पर लगातार गुस्से और शोक के बीच हृदय-विदारक कहानी सामने आई है. 15 वर्षीय हथिनी गंभीर रूप से मुंह की चोटों के साथ इधर-उधर भटकती रही और 27 मई को एक सप्ताह बाद वेल्लियार नदी में जाकर खड़ी हो गई और उसकी मौत हो गई. सार्वजनिक रूप से नाराज होने पर, केरल सरकार ने जांच शुरू की और घटना से शामिल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया.