*रायपुर* (DNH):– भाजपा शासन काल में पूरे छत्तीसगढ़ के भीतर , संचालित ३२ चिटफंड कंपनियों ने , राज्य के लाखो उपभोक्ताओं के खून पसीने की कमाई को , शासन प्रशासन की नजरो के सामने और उनके संरक्षण में खुलेआम लेकर फरार हो गई , अनुमानित अरबों – खरबों रुपए छत्तीसगढ़ के उपभोक्ताओं के ही है , कम्पनियों का संचालन सरकार के सह पर होता रहा है ? लोगो का यह दावा इसलिए है कि , कम्पनी के फरार होते ही और कुछ कम्पनी के संचालन के दरम्यान , उपभोक्ताओं के द्वारा , लिखित शिकायत कर कार्यवाही करते हुए , पैसा वापस दिलाने की मांग की गई थी ? तब ना तो तत्कालीन सरकार ने शिकायत को गंभीरता से लिया था और ना ही प्रशासनिक अधिकारियों ने ? मामले में जानबूझकर आरोपियों ढील देती गई और इसी कमजोरी का फायदा उठाकर , राज्य से एक एक करके लगभग ३२ कम्पनियां सरकार की नजरो के सामने से , सबकुछ बटोर कर फरार हो गई , जिसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता , अपना लाखो रुपए गंवाकर भुगत रहे है ? फरारी के शुरुवाती दौर में , सभी कम्पनियों के एजेंट और उपभोक्ताओं द्वारा , सरकार के समक्ष शिकवा शिकायत , आंदोलन बड़े जोर शोर के साथ किया जाता रहा है , लेकिन परिणाम हमेशा शून्य ही हाथ में आया है ? तत्कालीन भाजपा सरकार उपभोक्ताओं को , हमेशा झूठे आश्वासन देती रही है और यही समय कम्पनियों के लिए फायदेमंद रहा , समय का फायदा उठाया और वे फरार हो गए ? आज तक किसी भी उपभोक्ता को , उनका अपना पैसा एक रुपए भी वापस नहीं मिला है ?
*छत्तीसगढ़ की सत्ता पर कांग्रेस आईं ही उपभोक्ताओं के वोटो के बदौलत ?*
छत्तीसगढ़ के भीतर भाजपा को १५ साल पूरे हो चुके थे , चुनावी माहौल था , एजेंट और उपभोक्ता पैसा वापसी को लेकर , राज्य भर में आंदोलित थे , उपभोक्ता पैसा वापस ना मिलने के कारण , तत्कालीन सरकार से नाराज़ थी ? क्योंकि , भाजपा सरकार के संरक्षण में ही कारोबार संचालित हो रहा था और कम्पनियां सरकार के संरक्षण में ही फरार हुई थी , ऐसा एजेंट और उपभोक्ताओं का मानना था ? जो काफी हद तक सही भी था ? क्योंकि , किसी भी शिकायत पर कोई कार्यवाही जानबूझकर नहीं की गई थी ? यदि समय रहते शिकायत को सरकार गंभीरता पूर्वक मनन कर , कार्यवाही कर देती तो उपभोक्ताओं के पैसे मिल जाते और आरोपी सलाखों के पीछे होते परन्तु ना जाने , किस लालच में भाजपा की रमन सरकार ने चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ जरा भी कार्यवाही नहीं की , और आज परिणाम सबके सामने है ? इसी मुद्दे को भुनाते हुए भूपेश सरकार भारी बहुमत के साथ छत्तीसगढ़ की सत्ता में १५ वर्षो बाद वापसी की , सत्ता में वापस आने के पूर्व कांग्रेस द्वारा चुनावी माहौल में उपभोक्ताओं से पैसा वापस दिलाने का जमकर वादा किया था , इसी वादे के कारण , एजेंटों और उपभोक्ताओं ने , कांग्रेस को दिल खोलकर वोट किया और कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में वापसी करवाई ? आज कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज तो हो गई है , लेकिन उपभोक्ताओं के पैसे , अब तक वापस नहीं मिल पाए है ? लगभग साल – डेढ़ साल पूर्व भूपेश सरकार के आदेश पर ही , पैसा वापसी के लिए आनलाइन फार्म भरवाए गए , उपभोक्ताओं ने , यहां भी सरकारी आदेशों का पालन करते हुए , हजारों रुपए खर्च किए गए फार्म भरने में , यहां पैसा मिलने की उम्मीद जागी थी , लेकिन महीनों पश्चात , यह उम्मीद भी टूटती हुई नजर आईं ? उपभोक्ता एक बार फिर छले गए ? झूठे आश्वासन के सिवाय उपभोक्ताओं के हांथो में कुछ भी नहीं है ? कांग्रेस के द्वारा इतना जरूर किया गया कि , एजेंटों को पुलिस की कार्यवाही और कानूनी हथकंडों से बचा लिया गया है , लेकिन राज्य के लोगो की मेहनत और खून पसीने की कमाई डूबती हुई दिखाई दे रहीं है या फिर गाढ़ी कमाई डूब चुकी है ? राज्य के लोगो को भूपेश सरकार पर पूरा भरोसा था कि , उनका पैसा उन्हें मिल जाएगा ? लेकिन ऐसा होता हुआ कही से भी दिखाई नहीं दे रहा है ? सरकार ईमानदारी से इतना ही बता देती की पैसा मिलेगा की नहीं ? जनता अब इसी को स्वीकार कर लेगी ? क्यो झूठी उम्मीद पर जीती रहेगी ?
*नहीं मिलेगा पैसा ?*
शायद यही सच है कि , चिटफंड का पैसा वापस नहीं होगा ? स्थिति बिल्कुल साफ है , हालाकि , सरकार जरूर कुछ कम्पनी मालिकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दी है , लेकिन उनसे पैसा निकलवाने में कामयाब नही हो पाई है ? ठीक इसी तरह कम्पनी के संपति को बेचकर पैसा वापस करने की बात कही गई थी ? लेकिन ये दावा भी कही दिखाई नहीं दे रहा है ? उपभोक्ता सिर्फ आश्वासन में चुपचाप बैठे है , अब ऐसा लगता नहीं की उपभोक्ता किसी भी प्रकार का विरोध व आंदोलन करने में सक्षम हो , क्योंकि , एजेंट बिखर गए है ? एकजुटता खत्म हो गई है ? आर्थिक समस्या सभी के सामने बकासुर की तरह खड़ी हुई है ? अधिकांश एजेंट अन्य कारोबार व मजदूरी में जुट गए है ? पुलिस कार्यवाही से बचना ही एजेंटों का मुख्य उद्देश्य था ? पैसा वापसी करवाने में , अब उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है ? अधिकांश एजेंट कानूनी कार्रवाई को नहीं जानते और उनसे दूर भागते है ? कई अजेंट कमजोर गरीब तबके के है , जो कानूनी लफड़े में पड़ना नहीं चाहते ? इसलिए चिटफंड का पैसा मिलना , अब मुश्किल है ? क्योंकि , जब विरोध ही नहीं होगा , तो सरकार जागेगी कैसे ? वादों और आश्वासन को याद दिलाने के लिए , अब विरोध और एक जुटता जरूरी है ? तभी कुछ हद तक पैसों की वापसी की उम्मीद की जा सकती है ? वर्ना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन भी है ?
*चिटफंड घोटाले में , केंद्र सरकार का सकारात्मक कदम , अब तक सामने नहीं आया है , उनका निशाना और टारगेट सिर्फ पश्चिम बंगाल ?*
अगर किसी जनहित समस्या का समाधान करने का सीधे तौर पर अधिकार है तो वह केंद्र सरकार को है ? वह चाहे तो चिटफंड मामले का निपटारा मिनटों में कर सकती है ? लेकिन पूरे देश के भीतर , देशवासियों से अरबों – खरबों रुपए लेकर फरार हो चुकी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ , अब तक कार्यवाही का कोई आदेश ना तो जारी किया है और ना ही जांच करवाने में कोई दिलचस्पी दिखाई है ? जबकि पूरा मामला केंद्र सरकार की नजरो के सामने हुआ और आरोपी फरार भी सरकार के सामने हुए ? लेकिन इससे भी बड़ा मामला देश के सामने , उस समय सामने आया , जब नीरव मोदी , चौकसे , माल्या , जैसे धूर्त धन लोभी , करोड़ों रुपए का घोटाला कर फरार हो गए ? विदेश भाग चुके , इन धन पिशाचों को जांच कार्यवाही के लिए वापस लाने का दावा , समय समय पर सरकार जरूर करती है ? लेकिन आज वर्षो बाद भी , एक भी देश के गद्दारों को वापस में सरकार कामयाब नहीं हो सकी है ? इसके बाद भी लोगो के पैसों के साथ खुलेआम घोटाला होता रहा है , लेकिन सरकार आज तक किसी भी आरोपी से , सार्वजनिक तौर पर पैसा वसूली कर लेने का दावा नहीं कर सकी है ? तब ऐसे सरकार की लाचारी को क्या कहे ? ऐसे मामलों में लोगो का सरकार पर सीधा आरोप होता है कि , सब कुछ सरकार करती और करती है ? कोई भी आरोपी करोड़ों रुपए का घोटाला कर , सरकार और देश की सुरक्षा व्यवस्था को , उनके ही नजरो के सामने तोड़कर , विदेश फरार हो ही नहीं सकता ? धनपिशाचो को विदेश भागने में , एक बड़े स्तर पर साजिश होती है ? पूरे योजना के तहत धन लूटेरों को भगाया जाता रहा है ? विदेश भाग चुके धन पिशाचों से पैसा वापस दिलाने में सरकार नाकाम तो रही है ? लेकिन जो देश के भीतर , लोगो की खून पसीने की कमाई को लूट कर बैठे धन पिशाचों से भी , लोगो के पैसों को वापसी करवाने में सरकार नाकाम हो चुकी है ? तो क्या सरकार के इस नाकामी को , लोगो के दावों को सच मानते हुए , यू कहे कि , सबकुछ सरकारी सांठ गांठ के बदौलत संभव है ? देश में हुए चिटफंड घोटाले को केंद्र सरकार सुलझा सकती है ? क्योंकि , सभी आरोपी देश और देश के सलाखों के पीछे मौजूद है ? उनकी संपति भी देश में मौजूद है ? यदि संपति विदेश में हो , तो भी पैसा वसूल किया जा सकता है ? क्योंकि , संपति की जानकारी देने वाले और हस्ताक्षर करने वाले , देश में ही है , तो फिर सरकार को नाकाम कैसे कहे ? ऐसे में लोगो का , सरकार पर मिलीभगत का आरोप सच लगता है ? यदि ऐसे मामलों में सरकार की सक्रियता को देखने को मिला है , तो वह सिर्फ पश्चिम बंगाल में देखने को मिला , जहां जिस कारवाही में सीधे तौर पर राजनीति की सड़न महसूस की जा सकती है ? उसके बाद देश के भीतर केंद्र सरकार के द्वारा , कही भी चिटफंड मामलों की जांच नहीं करवाई गई है ? जबकि लोगो का सरकार पर सीधे तौर पर आरोप है कि , मोदी की पिछले ६ वर्षो से देश के केंद्र की सत्ता पर काबिज है , अधिकांश घोटाले मोदी जैसे सशक्त व्यक्तित्व के होते हुए हुआ है ? और इनके रहते हुए चिटफंड के आरोपी देश के भीतर आजाद होकर , कानून को तोड़कर घूमे और स्वतंत्र जीवन यापन करे ? यह हजम नहीं होती है ?
*सरकार केंद्र की हो या राज्य की , यदि ईमानदारी से कार्यवाही करे तो , पैसा कोई भी दिलवा सकता है ?*
चिटफंड कंपनियों के द्वारा की गई जनता से लूटपाट और फरार हो जाने के मामले को , यदि सरकार , चाहे केंद्र हो या राज्य गंभीरता पूर्वक लेते हुए , ईमानदारी पूर्वक कार्यवाही करता है तो , चिटफंड कंपनियों से पैसा वापस मिल सकता है ? लेकिन फिलहाल दोनों ही सरकार , इस मामले के प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है ? और जनता सरकार पर ही उम्मीद लगाए बैठी है ? ऐसे में पैसा मिलेगा भी नहीं , ये साफ साफ नजर नहीं आ रही है ? जबकि दोनों ही सरकार , उपभोक्ताओं का पैसा दिलवा सकती है ? इस मामले में यदि लेट लतीफी हो रही है ? तो क्यों हो रही है ? इसे भी सरकार साफ साफ नहीं बता रही है ? पैसा मिलेगा की नहीं , इस सच्चाई को ,साफ साफ कह व बता देना चाहिए ? राज्य सरकार का फर्ज और अधिकार , इसलिए बनता है कि , वह एजेंट और उपभोक्ताओं को पैसा वापस दिलाने का वादाकर सत्ता पर आईं है ? जबकि केंद्र सरकार का फर्ज इसलिए बनता है कि , सभी बैंकिंक सेवाएं , उनके अधिकृत है , और इससे भी बड़ी बात दोनों ही सरकार को , उपभोक्ताओं के वोटो की आवश्यकता होगी या फिर यू कहे इन्हीं देशवासियों उपभोक्ताओं के बदौलत , वे आज सत्ता पर है ? और कुछ नहीं तो , अपना वोट बैंक समझकर ही , उपभोक्ताओं की पैसा वापसी करवाने मदद कर दे ?