डंकनी नदी किनारे बसे 15 गांवों की बदलेगी तस्वीर, सूखी जमीन पर पहली बार होगी खेती
दंतेवाड़ा. नक्सलगढ़ जिला दंतेवाड़ा में पहली बार डंकनी नदी के किनारे बसे 15 गांवों की तस्वीर व यहां के रहवासियों की आर्थिक स्थिति बदलने की कवायद चल रही है। पहले चरण में डंकनी नदी के किनारे बसे 7 गांव लिए गए हैं। फसल,साग- सब्जी, फलों की बड़े पैमाने पर खेती कर फलों व सब्जियों का हब बनाने की तैयारी है। बताया जा रहा है बेहद कम समय में योजना बनी और इस पर काम भी शुरू कर दिया। यदि तय योजना के मुताबिक काम होता है तो 15 गांवों व यहां के ग्रामीणों की दशा बदलना तय है। प्रशासन ने डंकनी नदी किनारे के 7 गांवों की ड्रोन से फ़ोटो भी करवा ली है, ताकि इलाके को समझने में आसानी हो। जबकि 8 गांवों के चयन की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है।इस प्रोजेक्ट के लिए जिस तेजी के साथ काम हो रहा है , प्रशासन का दावा है आने वाले साल परिणाम भी दिखने शुरू हो जाएंगे। कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि डंकनी नदी के किनारे बसे 15 गांवों में सूखी पड़ी भूमि को सिंचित कर सामुदायिक खेती, फलोद्यान सहित अन्य काम होंगे। सर्वे का काम शुरू हो गया है।
पहले चरण के ये गांव और विभाग मिलकर करेंगे काम
पहले चरण में गीदम ब्लॉक के गांव फरसपाल, समलूर, बिंजाम, झोड़ियाबाड़म व दंतेवाड़ा ब्लॉक के भोगाम, बालूद व बालपेट को लिया गया है। उद्यान, कृषि, जल संसाधन, राजस्व को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। कलेक्टर खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। नीति आयोग फेलो प्रकाश राव ने बताया कि नदी किनारे किसानों की अपनी व सरकारी जमीन कितनी है, कहां पर किस तरह की फसल ली जा सकती है।
इन पर होगा काम
- क्षेत्रों की पहचान कर फसल व फलों का हब बनेगा।
- आम, टमाटर, मुनगा, एलोवेरा, लेमन ग्रास की खेती साथ ही उनके प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होंगे।
- आठ एफआरए क्लस्टर निर्मित कर, उन्हीं प्रोडक्ट को लगायेंगे जिसका मार्केट उपलब्ध है।
- डंकनी नदी व अन्य नदियों के दोनों तरफ की सूखी भूमि को फेंसिंग कराकर स्व सहायता समूहों के माध्यम से सामुदायिक खेती भी कराई जाएगी।
ये फायदा होगा
- बड़ी संख्या में किसान व समूह की महिलाओं को मिलेगा काम।
- सिर्फ सीजनल ही नहीं बारहों मास फल, सब्जी व फसल की पैदावार होगी।
- दंतेवाड़ा के रहवासियों को दूसरे राज्यों व ज़िलों के फल, सब्जी पर नहीं रहना पड़ेगा निर्भर , बल्कि यहां पैदावार अच्छी हुई तो बाहरी मार्केट भी मिलेगा।
- नदी के दोनों ओर खाली पड़ी भूमि का अच्छा सदुपयोग होगा।