रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने चिकित्सा शिक्षा और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत सेवारत चिकित्सक अभ्यर्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब एमडी (MD) और एमएस (MS) पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन अवकाश की अधिकतम सीमा को 36 महीने तक बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस फैसले से अध्ययनरत चिकित्सकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
क्या है नया आदेश?
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम-2010 के नियम-44 में संशोधन करते हुए इस निर्णय को मंजूरी दी है। इसके तहत :
अधिकतम अध्ययन अवकाश : 36 महीने
सेवा शर्तें : अध्ययन अवकाश की समाप्ति के बाद चिकित्सकों के लिए कम से कम 5 साल की सेवा अनिवार्य होगी।
सेवानिवृत्ति से पहले शर्त : अवकाश समाप्ति के बाद 5 साल से अधिक का समय सेवा में शेष होना चाहिए।
वसूली का प्रावधान
अगर कोई चिकित्सक 5 वर्षों की सेवा पूरी नहीं करता है या बीच में इस्तीफा देता है, तो :
वेतन-भत्तों की वसूली : अध्ययन अवकाश के दौरान खर्च किए गए सभी वेतन-भत्ते और अन्य खर्च, 8% चक्रवृद्धि ब्याज के साथ वसूल किए जाएंगे।
डिग्री निरस्त का खतरा : वसूली न होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद् द्वारा संबंधित चिकित्सक की एमबीबीएस (MBBS), पीजी (PG), और अन्य सुपरस्पेशलिटी डिग्री को निरस्त किया जा सकेगा।
राजस्व वसूली : राज्य सरकार इस राशि को भू-राजस्व की तरह वसूलने के लिए स्वतंत्र होगी।
पुराने प्रकरणों पर भी लागू होगा नया नियम
जिन चिकित्सकों को पहले ही 3 साल का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया गया था, उन पर भी ये नई शर्तें लागू होंगी। वित्त विभाग ने इस निर्णय पर अपनी सहमति पहले ही दे दी थी।
चिकित्सकों के लिए क्या मायने रखता है ये फैसला?
सरकार के इस कदम से चिकित्सकों को लंबी अवधि तक उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, लेकिन इसके साथ ही उनके ऊपर सेवा की अनिवार्यता और वसूली के कड़े प्रावधान भी लागू होंगे।