भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान चुन्नी गोस्वामी अब हमारे बीच नहीं है पर खेल जगत को उनकी कमी हमेशा ही खलती रहेगी। चुन्नी के पास वह सभी खूबियां थीं जो एक खिलाड़ी अपने पास होने का सपना देखता है लेकिन कुछ ही लोगों के पास ऐसी नैसर्गिक आलराउंड प्रतिभा होती है। चुन्नी गोस्वामी का पूरा नाम सुबीमल गोस्वामी था पर वह ‘चुन्नी दा’ के नाम से लोकपिय हुए। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले वह आखिरी भारतीय कप्तान थे। वह ओलिंपियन खिलाड़ी के साथ ही प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और कप्तान भी रहे यहां तक कि महान ऑलराउंडर सर गैरी सोबर्स ने अपनी आत्मकथा में भी उनका जिक्र किया है।
शीर्ष फुटबॉलर के साथ ही क्रिकेटर भी रहे.
कलकत्ता विश्व विद्यालय में क्रिकेट और फुटबॉल दोनों खेलने वाले गोस्वामी का जन्म उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ और उन्होंने अपना पूरा जीवन दक्षिण कोलकाता के समृद्ध जोधपुर पार्क इलाके में बिताया। उन्हें विश्व विद्यालय में शिक्षा हासिल की और अगर भारतीय फुटबॉल के इतिहास पर गौर करें तो वह संभवत: सबसे महान ऑलराउंड फुटबॉलर थे।
वह सेंटर फारवर्ड थे पर 1960 के दशक में राइट-इन के रूप में खेले उन्हें मैदान पर खिलाड़ियों की स्थिति की गजब की समझ थी। गोस्वामी विरोधी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ने में माहिर थे बाक्स के किनारे से शॉट लगाकर विरोधियों को हैरान करने की क्षमता भी उनमें थी। यहां तक कि महान खिलाड़ी दिवंगत पीके बनर्जी ने कई मौकों पर कहा था, ‘मेरे मित्र चुन्नी के पास सब कुछ था। दमदार किक, ड्रिबलिंग, ताकतवर हेडर, तेजी दौड़ और खिलाड़ियों की स्थिति की समझ।’ बनर्जी और गोस्वामी की जोड़ी मैदान पर शानदार थी पर इसके बावजूद दोनों एक-दूसरे से काफी अलग थे। गोस्वामी मोहन बागान की ओर से रोवर्स कप में खेलते हुए मुंबई में आकर्षण का केंद्र हुआ करते थे। गोस्वामी अपने अंतिम दिनों तक भी सिर्फ मोहन बागान के प्रति ही समर्पित रहे। वह 16 साल की उम्र में ही इस क्लब से जुड़े थे और फिर हमेशा इसी का हिस्सा बने रहे। उन्होंने मोहन बागान की ओर से क्लब क्रिकेट भी खेला।
30 साल की उम्र में लिया था संन्यास
कहा जाता है कि गोस्वामी ने 1968 में जब मुंबई में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने की घोषणा की थी तो उस सभी हैरान रह गये थे जबकि उस समय उनकी उम्र 30 साल ही थी। इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे प्यार क्रिकेट की ओर रुख किया। उनकी कप्तानी में बंगाल ने 1972 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में प्रवेश किया। गोस्वामी ने 1967 में गैरी सोबर्स की वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ अभ्यास मैच में संयुक्त क्षेत्रीय टीम की ओर से आठ विकेट लिए। इस मैच के दौरान गोस्वामी ने पीछे की ओर 25 गज तक दौड़ते हुए बेहतरीन कैच लपका जिसके बाद सोबर्स ने उनकी जमकर तारीफ की। गोस्वामी ने तब मजाकिया लहजे में कहा, ‘सोबर्स को नहीं पता था कि मैं अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर था। पीछे की ओर 25 गज दौड़ना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है।’
गोस्वामी का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उन्होंने कोलकाता एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटा है। वह मधुमेह, प्रोस्ट्रेट और तंत्रिका तंत्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले हैं।
बॉलीवुड सितारे अजय देवगन ने गोस्वामी के निधन पर शोक जताया है। इसके साथ ही उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। देवगन को गोस्वामी और दिवंगत पीके बनर्जी सहित बंगाल के दिग्गज फुटबॉलरों के साथ अपनी आगामी फिल्म, ‘मैदान’ के लिए कोलकाता में शूटिंग करते समय उनके साथ समय बिताने का अवसर मिला था। उसी के बारे में देवगन ने ट्वीट किया, “मैदान की शूटिंग के दौरान, मैं फुटबॉल के दिग्गज गोस्वामी के खेल में योगदान से परिचित हुआ। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना।”