छत्तीसगढ़ में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट डिवीजन बेंच में सौंपी है। जिसमें कहा गया कि प्रदेश में कई ऐसे उद्योग हैं, जहां प्रदूषण रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। उनके कामगारों में फेफड़ों संबंधित बीमारियां हो रही है। इस केस की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी।
दरअसल, प्रदेश भर में संचालित उद्योगों, कारखानों में काम करने वाले श्रमिको को सीमेंट और लोहे की डस्ट से बहुत परेशानी होती है। इस कारण कामगारों के फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। उत्कल सेवा समिति, लक्ष्मी चौहान, गोविन्द अग्रवाल, अमरनाथ अग्रवाल ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की है।
हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की है। हाईकोर्ट के निर्देश पर सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई चल रही है। पूर्व में डिवीजन बेंच ने प्रदेश के उद्योगों का निरीक्षण करने और रिपोर्ट देने के लिए हाईकोर्ट के वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। जिसके बाद कोर्ट कमिश्नर ने अलग-अलग संभाग में संचालिक उद्योगों का निरीक्षण किया।
स्पंज आयरन और सीमेंट फैक्ट्री में ज्यादा शिकायतें
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया है कि राज्य में तकरीबन 60 ऐसे स्पंज आयरन और सीमेंट प्लांट हैं, जहां इस प्रकार की शिकायतें आ रही हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच ने आठ अधिवक्ता को कोर्ट कमिश्नर बनाकर डाटा रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
कोर्ट कमिश्नरों ने बताया कि अभी उद्योगों के बारे में जांच रिपोर्ट में कई बिंदु पूरे नहीं हो सके हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया है कि उद्योगों में प्रदूषण रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण फैल रहा है। कोर्ट ने उन्हें विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।
कामगार हो रहे बीमारी के शिकार
अधिवक्ता प्रतीक शर्मा, अपूर्व त्रिपाठी, संघर्ष पांडेय, रजनी सोरेन, पलाश तिवारी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने कोर्ट कमिश्नर के रूप में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में संचालित सीएफटीपीपी का दौरा किया। कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अधिकांश बड़े उद्योग जहां बड़ी मशीनरी काम करती है।
बड़ी संख्या में श्रमिकों के श्रवण बाधित होने की शिकायत है। कई कारखानों में केमिकल्स की वजह से डर्मेटाइटिस जैसी बीमारी के श्रमिक शिकार हो रहे हैं। हड्डी रोग से भी कामगार ग्रसित हैं। वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारी और दूसरी कई प्रकार की शारीरिक परेशानी भी सामने आई है।