बिलासपुर में ट्रैफिक थाने के पीछे से पुराने बस स्टैंड की ओर जाने वाली इमलीपारा रोड कबाड़ी, रिपेयरिंग वर्कशॉप, एसेसरीज और अन्य दुकानदारों के कब्जे में चली गई है। अधिकांश दुकानदारों का कारोबार सड़क पर दिन और रात चलता रहता है। इससे वहां से गुजरने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
रात में सड़क के एक हिस्से में आवारा मवेशियों का जमावड़ा रहता है, जो दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं। 40 फुट चौड़ी व्यस्ततम लिंक रोड पर ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए इमलीपारा रोड का निर्माण वर्षों तक कई बाधाओं को पार करते करते हुआ।
10 करोड़ रुपए खर्च, लोगों को लाभ नहीं मिल रहा
इमलीपारा रोड का नामकरण शहीद विनोद चौबे के नाम पर किया गया है। रोड के निर्माण पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद लोगों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।
रोड पर सामान रखने वालों पर कार्रवाई की जाएगी
नगर निगम का अतिक्रमण निवारण दस्ता और जोन के अधिकारी इस संवेदनशील रोड को व्यवस्थित करने उदासीन बने हुए हैं। नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने ‘दैनिक भास्कर’से बातचीत में कहा कि रो़ड पर कबाड़ रखने और अन्य सामान रखने वालों पर शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी।
स्मार्ट सिटी की योजना के अंतर्गत कार्य होगा
उन्होंने बताया कि इमलीपारा रो़ड को पुराने बस स्टैंड से जोड़ने के लिए स्मार्ट सिटी की योजना के अंतर्गत कार्य होगा। दुकानदारों से सहमति ली जा रही है। हाईकोर्ट से फैसला आते ही काम शुरू होगा।
अपने ही दुकानदारों पर कार्रवाई से परहेज
इमलीपारा रोड राजा रघुराज सिंह स्टेडियम के ठीक पीछे है। स्टेडियम के रखरखाव व संचालन का खर्च निकालने की गरज से स्टेडियम के आखिरी हिस्से में 51 दुकानों का निर्माण कराया गया है। सभी दुकानें प्रीमियम पर बेची गई हैं। इसका किराया स्टेडियम की संचालन समिति जिला फिजिकल कल्चरल सोसायटी द्वारा लिया जाता है।
रोड के आधे हिस्से में कबाड़ का धंधा
सोसायटी के अध्यक्ष कलेक्टर एवं सचिव नगर निगम कमिश्नर होते हैं। नगर निगम के अधीन निर्मित दुकानदारों द्वारा रोड पर खुलेआम कारोबार किया जा रहा है। कबाड़ी ने रोड के आधे हिस्से में कबाड़ का धंधा खोल रखा है, परंतु इनके विरुद्ध कार्रवाई तो दूर नोटिस तक देने में निगम के अफसर कतरा रहे हैं।