कानपुर, नगर ही नहीं बल्कि देश-प्रदेश के खेल जगत में कभी ध्रुव तारे की तरह जगमगाने वाला ग्रीनपार्क स्टेडियम अब खिलाड़ियों के लिए केवल प्रयोगशाला बनता जा रहा है। वह भी ऐसी प्रयोगशाला जिसमें खिलाड़ी केवल खेल के गुर सीख सकते हैं उस पर अमल करने के लिए उन्हें बाहर के खेल संगठनों पर आश्रित रहना पड़ता है।
ग्रीनपार्क में वैसे तो कई खेलों के लिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जाता रहा है। कभी बास्केटबाल और बॉलीबाल की टीमों का वर्चस्व पूरे प्रदेश में कायम रखने वाली टीमों के खिलाड़ी अब यहां पर न के बराबर मिलते दिखायी देते हैं तो फुटबाल सहित हॉकी और अन्य खेलों में ग्रीनपार्क की टीमों को केवल फाइलों में ही देखा जा सकता है। कभी यह आलम था कि संगठनों की टीमों के अलावा ग्रीनपार्क की टीमें प्रतियोगिताओं के लिए अलग से अपना नाम दर्ज कराती थी।
उल्लेखनीय है कि नगर के बीचों बीच बने ग्रीनपार्क स्टेडियम में अब यहां पर हो रहे बड़े और छोटे मैचों के अभाव से शहर के वो खिलाड़ी जो बड़े खिलाड़ियों की तरह बनने का सपना देख रहे हैं वो खेल विभाग और यूपीसीए की अंतर्कलह के चलते ध्वस्त होता जा रहा है।
पालिका स्टेडियम के पूर्व खेल निदेशक जफर आलम ने मंगलवार को बताया कि कानपुर शहर की शान और पहचान कहे जाने वाले ग्रीन पार्क स्टेडियम से सभी वाकिफ हैं। शहर के बच्चे, युवा और बुजुर्गों ने इस के बदलते स्वरूप को भी देखा है। ग्रीन पार्क स्टेडियम में हर खेल की अमूमन व्यवस्था है, यहां अलग—अलग खेल को खेलने और उसे देखने के लिए मैदान और कोच भी उपलब्ध है,लेकिन इस स्टेडियम की खास पहचान क्रिकेट मैचों से है, लेकिन अब इसका भी अन्त हो चला है।
उन्होंने बताया कि खेल विभाग और यूपीसीए इस स्टेडियम में कराए जाने वाले मैचों को लेकर लचीला रुख अख्तियार किए हैं। इसे दोनों के बीच आपसी कलह की कहानी कहे या फिर कुछ और ग्रीन पार्क स्टेडियम से खेलों का आयोजन कोसों दूर होता जा रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया तो खेल की प्रयोगशाला के भीतर केमिकल के मिश्रण से किसी खिलाड़ी का जन्म नहीं हो सकेगा।