by PIB Delhi/www.jwalaexpress.com / सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने संबद्ध मंत्रालयों के परामर्श से एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के लिए मील के पत्थर स्थापित करने से संबंधित कार्य किया। इस संदर्भ में, आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के लिए मील का पत्थर स्थापित करने की समीक्षा” का आयोजन किया गया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन के. बेरी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
“एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के लिए मील का पत्थर स्थापित करने की समीक्षा” मुख्य रूप से नवीनतम एसडीजी-एनआईएफ के अनुसार, एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के लिए मील का पत्थर स्थापित करने की स्थिति का अवलोकन करने के लिए आयोजित की गई और साथ ही साथ इसका आयोजन एसडीजी ग्लोबल इंडिकेटर फ्रेमवर्क की 2025 व्यापक समीक्षा के मोर्चे पर हाल के घटनाक्रमों के बारे में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों को संवेदनशील बनाने के लिए किया गया।
श्री एन.के. संतोषी, महानिदेशक (सांख्यिकी) ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने न केवल सांख्यिकीय प्रणाली, विशेष रूप से एसडीजी निगरानी के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर अपना दृष्टिकोण रखा बल्कि समय पर और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा के महत्व पर भी बल दिया।
डॉ. सौरभ गर्ग, सचिव, एमओएसपीआई ने अपने भाषण में एसडीजी से संबंधित कई एमओएसपीआई पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें राष्ट्रीय संकेतक संरचना का विकास, नए सर्वेक्षणों के माध्यम से डेटा अंतराल को समाप्त करने की कोशिश और एसडीजी डेटा आवश्यकताओं के अनुसार मौजूदा सर्वेक्षणों का संरेखण, एसडीजी पर क्षमता निर्माण और राष्ट्रीय एसडीजी संकेतकों के लिए मील का पत्थर स्थापित करने के लिए एमओएसपीआई की कोशिश शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एमओएसपीआई की कोशिशों के कारण, एसडीजी के राष्ट्रीय संकेतकों के लिए डेटा उपलब्धता 2019 में लगभग 55 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 95 प्रतिशत से अधिक हो गई है। उन्होंने डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रौद्योगिकी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने और डेटाबेस के एकीकरण के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने विकसित भारत 2047 के साथ एसडीजी के संरेखण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
सचिव, एमओएसपीआई ने यह भी कहा कि भारत 2023-2025 के दौरान सतत विकास लक्ष्य संकेतकों (आईएईजी-एसडीजी) पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर-एजेंसी और विशेषज्ञ समूह का एक सदस्य है और एमओएसपीआई के माध्यम से विशेषज्ञ समूह में दक्षिण एशिया का प्रतिनिधित्व कर रहा है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि ग्लोबल इंडिकेटर फ्रेमवर्क की वर्ष 2020 में व्यापक समीक्षा की गई थी और अगली व्यापक समीक्षा संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (यूएनएससी) के 56वें सत्र के दौरान 2025 में निर्धारित है, जिसमें भारत भी एक सदस्य है।
श्री बेरी, उपाध्यक्ष, नीति आयोग ने अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि हम 2015-2030 के एसडीजी युग के मध्य में हैं, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की सफल निगरानी और उपलब्धि के लिए मील के पत्थर की स्थापना बहुत महत्वपूर्ण है। एसडीजी लक्ष्यों के लिए मील के पत्थर सरकारों को प्रगति मापने और यह आकलन करने के लिए संदर्भ बिंदुओं के रूप में कार्य करने की अनुमति प्रदान करेगा कि हम एसडीजी प्राप्त करने के लिए सही ट्रैक पर हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि मील के पत्थर स्थापित करने से उन क्षेत्रों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी जहां प्रगति पिछड़ रही है और यह मुद्दों का शीघ्र पता लगाने में सक्षम होगा और समय पर मध्यवर्तन की अनुमति देगा। उन्होंने एसडीजी को विकसित भारत 2047 से जोड़ने पर बल दिया। श्री बेरी ने नीति आयोग, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के बीच मजबूत समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
तकनीकी सत्र में, एमओएसपीआई और नीति आयोग द्वारा एनआईएफ के 290 एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के मील का पत्थर स्थापित करने की स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई। इसके अलावा, एसडीजी से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों को समीक्षा बैठक के दौरान एसडीजी ग्लोबल इंडिकेटर फ्रेमवर्क की 2025 व्यापक समीक्षा के बारे में जागरूक किया गया।
श्री एन.के. संतोषी, महानिदेशक (सांख्यिकी), एमओएसपीआई ने संबंधित मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया कि वे संकेतकों के लिए मील का पत्थर स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं पर विचार करते हुए मील का पत्थर स्थापित करने की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करें। उन्होंने संबंधित मंत्रालयों से अपने संबंधित क्षेत्रों पर तुरंत इनपुट प्रदान करने का भी अनुरोध किया।
समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, एमओएसपीआई और नीति आयोग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया, जो अपने मंत्रालय/विभाग में एसडीजी से संबंधित कार्यों को देखते हैं। डॉ. प्रवीण शुक्ला, अतिरिक्त महानिदेशक, एमओएसपीआई ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।