दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला वोट नहीं डाल पाए, तीन अधिकारी निलंबित
दुर्ग, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में पुलिस अधीक्षक (एसपी) जितेन्द्र शुक्ला अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सके। इस मामले को लेकर जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, एसपी जितेन्द्र शुक्ला जब मतदान केंद्र पहुंचे, तो किसी प्रशासनिक त्रुटि के चलते उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं था। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन उचित समाधान न मिलने के कारण वे मतदान करने से वंचित रह गए।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए दुर्ग नगर निगम के प्रशासक और जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस लापरवाही को लेकर सख्त कदम उठाए और मामले में संलिप्त तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
निर्वाचन कार्य में लापरवाही और स्पष्टीकरण
इस बीच, दुर्ग नगर निगम में निर्वाचन कार्य में लापरवाही को लेकर सहायक ग्रेड-3 भूपेंद्र गोइर ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपर कलेक्टर को सौंपे अपने जवाब में कहा कि वे मनोरोगी उनका इलाज चल रहा है। इस बयान के बाद जिला कलेक्टर एव जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा कार्यवाही हेतु अनुमोदन के बावजूद वरिष्ठ अधिकारी इस फ़ाइल को दबाए बैठे हैं, जिससे मामले में नया मोड़ आ गया है।
नगर निगम दुर्ग में हंगामा
इस पूरे घटनाक्रम के बाद नगर निगम दुर्ग में जबरदस्त हंगामा हुआ। निगम आयुक्त और उपायुक्त इस मुद्दे पर किसी भी तरह का बयान देने से बच रहे हैं और फोन कॉल्स रिसीव नहीं कर रहे हैं।
चुनाव प्रक्रिया में चूक पर सवाल
यह मामला चुनाव प्रक्रिया में प्रशासनिक चूक की ओर इशारा करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम मतदाता सूची में न होना न केवल लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि आम जनता के लिए मतदान प्रक्रिया कितनी सुचारू रूप से संचालित हो रही है।
एक्सपर्ट की राय
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कानून के जानकारों ने कहा, कि”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस अधीक्षकअपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सका। हालांकि, जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और उचित कार्रवाई की है। भविष्य में इस तरह की गलतियों को रोका जाए।”
यह घटना न केवल प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है
यह घटना न केवल प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुचारू बनाने की आवश्यकता है।
जांच में लापरवाही प्रमाणित कार्यवाही को लेकर प्रशासक ने साधी चुप्पी……..