दुर्ग (छत्तीसगढ़)-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित “आनंद सरोवर ” में 29 फरवरी से 9 मार्च तक दस दिवसीय “शिव दर्शन ” आध्यात्मिक मेला का आयोजन किया जा रहा है । इस मेले में ध्वनि एवं प्रकाश से सुसज्जित केदारनाथ मंदिर दर्शन एवं मनोरम चैतन्य झांकी होगी । जिसका समय प्रातः 6:00 बजे से 1:00 बजे तक एवं संध्या 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक रहेगा। इस आध्यात्मिक मेले के विशेष आकर्षणों में केदारनाथ मंदिर दर्शन , 45 फीट ऊंचा शिवलिंग , अनोखा अनवरत दुग्धाभिषेक , द्वादश ज्योर्तिलिंगम दर्शन, आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी , शिव व शंकर की चैतन्य झांकी व बच्चों के लिए मूल्य आधारित खेल होगा ।
इस झांकी व शिव दर्शन आध्यात्मिक मेला के विषय में जानकारी देते हुए ब्रह्माकुमारीज दुर्ग की संचालिका रीटा बहन ने बताया महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गत वर्ष भी आध्यात्मिक मेला एवं चैतन्य झांकी का आयोजन किया गया था जिसमें हर हर शंभू एलबम की प्रख्यात गायिका अभिलिप्सा पाँडा ने अपनी प्रस्तुति दी थी। इस मेले को भक्तगणों का अच्छा प्रतिसाद मिला था। शहर से थोड़ा दूर होने के पश्चात भी सुदूर ग्रामीण अंचलों एवं शहर के लोग बड़ी संख्या में इस आध्यात्मिक मेले को देखने के लिए आते रहे हैं । इस वर्ष भी बहुत ही उमंग एवं उत्साह से पिछले एक माह से मेले की तैयारी शुरू की गयी थी जो कि अब पूर्ण होने आ रहा है एवं भक्तगणों के लिए यह मेला 29 फरवरी से प्रारंभ हो जाएगा ।
उक्त आध्यात्मिक मेला के उद्देश्य के विषय में ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने बताया महाशिवरात्रि पर्व का सनातन संस्कृति में विशिष्ट महत्व है। दुनिया में जब किसी का जन्म होता है तो जन्मदिवस ही मानते हैं न की जन्मरात्रि। संपूर्ण जगत में देवों के देव महादेव भगवान “शिव” का ही एक ऐसा अनोखा स्वरूप है जिसके अवतरण दिवस को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं न की जन्मदिन के रूप में। इसका यथार्थ रहस्य यह है जब कलि काल में सर्व मनुष्य आत्माएं अपने आत्मिक स्वरूप को भूल स्वयं को दैहिक जाति धर्म इत्यादि के संबंधों में फंसकर स्वयं को देह मान लेते हैं जिसके फलस्वरुप समग्र विश्व में चहुँ ओर दुःख-अशांति बढ़ जाती है इस अज्ञान अंधकार को ही शास्त्रों मे ब्रह्मा की रात्रि बताया गया है इस समय ही निराकार परमपिता परमात्मा “शिव” का साधारण मनुष्य तन में दिव्य अवतरण होता है जिसे स्वयं परमात्मा शिव ब्रह्मा नाम देते है परमात्मा शिव सर्व मनुष्य आत्माओं को इस दुःख-अशांति के भंवर जाल से निकाल सुख शांति के साम्राज्य पर प्रतिस्थापित करते हैं इसलिए उनकी याद में महाशिवरात्रि का यह पर्व मनाया जाता है ।