बिलासपुर। मौत के बाद बैंक प्रबंधक रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त हुए. 22 साल तक चले मामले में बैंक प्रबंधक की पत्नी ने बेटों के साथ हाई कोर्ट में केस लड़कर जीत हासिल की. बैंक प्रबंधक पर शासकीय योजना के तहत बोरवेल खुदाई के लिए लोन देने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप था.
दरअसल, दुर्ग निवासी राजेन्द्र कुमार यादव वर्ष 2000-01 में कृषि एवं भूमि विकास बैंक के बेमेतरा शाखा में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान ग्राम एरमसाही नवागढ़ ब्लॉक निवासी किसान धीरेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने पिता राजेन्द्र नारायण शुक्ला के नाम से बोरवेल खुदाई के लिए सरकारी योजना के तहत लोन लेने आवेदन दिया. इस आवेदन पर शाखा प्रबंधक राजेन्द्र कुमार यादव ने प्रोसेस शुल्क 526 रुपए जमा करने के लिए कहा. इस पर किसान ने शाखा प्रबंधक द्बारा रिश्वत मांगे जाने की लोकायुक्त रायपुर में शिकायत की. शिकायत पर लोकायुक्त ने मई 2001 को शिकायतकर्ता को केमिकल लगे करेंसी लेकर बैंक प्रबंधक के पास भेजा और ट्रेप कर शाखा प्रबंधक को हिरासत में लिया. इस मामले में विशेष न्यायाधीश ने जनवरी 2003 को शाखा प्रबंधक को भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 6 माह कैद 500 रूपये अर्थदंड एवं धारा 13 (डी) 1 में 1 वर्ष कैद एवं 500 अर्थदंड की सजा दी. शाखा प्रबंधक ने इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. अपील लंबित रहने के दौरान अपीलकर्ता शाखा प्रबंधक की मौत हो गई.