ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज _by:
दुर्ग कलेक्टर कार्यालय के नजूल विभाग में बड़ा लापरवाही मामला सामने आया है, जहां एक चपरासी ने पुराने सरकारी दस्तावेजों को कबाड़ में बेच दिया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
सुत्रों के अनुसार, सरकारी विभागों में लापरवाही आम होती जा रही है। अधिकारियों और फरियादियों के बीच चपरासी और दलालों की भूमिका महत्वसूपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इन्हीं के जरिए रिश्वतखोरी और दलाली का खेल संचालित होता है। इस घटना ने सरकारी कार्यालयों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कलेक्टर अभिजीत सिंह के सामने बड़ी चुनौती
हाल ही में दुर्ग कलेक्टर का पदभार संभालने वाले अभिजीत सिंह के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती सरकारी कार्यालयों से दलाली प्रथा को खत्म करना है। इस घटना के बाद प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है।
दुर्ग पुलिस भी उलझी, अधिकारियों को नहीं पता कितनी फाइलें गायब
मामले को लेकर जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो विभागीय अधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर सके कि कुल कितनी फाइलें और रजिस्टर गायब हुए हैं। पुलिस ने विभाग को निर्देश दिया है कि वे पहले यह सुनिश्चित करें कि कितने दस्तावेज लापता हैं, तभी कोई ठोस कार्रवाई की जा सकेगी।
नजूल विभाग से कोई प्रतिक्रिया नहीं
जब इस मामले को लेकर कलेक्टर दुर्ग नजूल विभाग से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। सरकारी महकमों की इस लापरवाही का खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ेगा।